Saturday 16 July 2016

भारत का भौतिक स्वरूप

भौतिक स्वरूप

भारत का विशाल क्षेत्र भौतिक दृष्टि से सर्वत्र समान नहीं है बल्कि इसके उच्चावचन में काफ़ी विविधता पायी जाती है। इसमें कहीं पर तो उच्च पर्वत श्रेणियां हैं और कहीं पर विशाल मैदान। नदी घांटियाँ एवं पठारी भाग भी देश में विद्यमान हैं। यदि उत्तर में हिमालय जैसी नवीन पर्वत मालाएं स्थित हैं; तो अरावली, सतपुड़ा, विन्ध्याचल जैसी प्राचीन पर्वत श्रेणियाँ भी हैं। देश के कुल क्षेत्रफल के 10.7 प्रतिशत भाग पर उच्च पर्वत श्रेणियों का विस्तार पाया जाता है, जिनकी ऊंचाई समुद्र तट से 2,135 मी. या इसके अधिक है। समुद्र तट से 305 से 2,135 मी. तक की ऊंचाई वाली पहाड़ियाँ भी देश के 18.6 प्रतिशत भाग पर फैली हैं। इस प्रकार कुल पर्वतीय भाग 29.3 प्रतिशत है। समुद्र तट से 305 से 915 मीं तक ऊंचाई वाले पठारी भाग का विस्तार भी देश के 27.7 प्रतिशत क्षेत्र पर है, जबकि शेष 43.0 प्रतिशत पर विस्तृत मैदान पाये जाते हैं। उच्चावचन की दृष्टि से भारत को सामान्यतः चार प्राकृतिक या भौतिक भागों में वर्गीकृत किया जाता है, जो हैं:

1. उत्तर का पर्वतीय एवं पहाड़ी प्रदेश
2. उत्तर का विशाल मैदान
3. प्रायद्वीपीय पठारी भाग
4. समुद्र तटीय मैदान। पुनः थार का विशाल मरुस्थल तथा सागरीय भाग में स्थित द्वीप भी एक विशेष प्रकार का भौतिक स्वरूप प्रस्तुत करते हैं।

उत्तर का पर्वतीय एवं पहाड़ी प्रदेश

इस प्रदेश का हिमालय पर्वतीय प्रदेश के रूप में भी जाना जाता है, जो देश की उत्तर सीमा पर एक चाप के आकार में 2400 किमी. की लम्बाई में फैला है। इसका क्षेत्रफल लगभग 5 लाख वर्ग किमी है। इसका उद्गम पामीर की गाँठ से हुआ है। इसकी उत्पत्ति वस्तुतः एक भू-द्रोणी, जिसे टेथिस सागर कहते हैं, से हुई है। हिमालय पर्वत श्रेणी की कुल लम्बाई मकरान तट पर स्थित ग्वाडर से लेकर पूर्व में मिजों पहाड़ियों तक 2,400 किमी. है, जबकि इसकी चौड़ाई पश्चिम में 400 किमी और पूरब में 160 किमी. तक है। हिमालय की स्थलाकृतियों में मुख्यतः तीन लंबी और घुमावदार श्रेणियां हैं, जिनकी ऊंचाई दक्षिण से उत्तर की ओर क्रमशः बढ़ती जाती है। मंद गति के कारण इन्हें वर्तमान ऊंचाई को प्राप्त करने में 70 लाख वर्ष लगे हैं। भौतिक दृष्टि से हिमालय मे चार समान्तर श्रेणियां मिलती हैं जिनमें, सबसे उत्तर में ट्रांस अथवा तिब्बत हिमालय, उसके दक्षिण में क्रमशः महान अथवा आन्तरिक हिमालय, लघु अथवा मध्य हिमालय तथा उप अथवा शिवालिक श्रेणी स्थित हैं।

ट्रान्स अथवा तिब्बत हिमालय श्रेणी सबसे उत्तर में स्थित हैं। इसकी खोज सन् 1906 स्वैन महोदय ने की थी। इसकी लम्बाई 100 किमी. तथा चौड़ाई पूर्वी तथा पश्चिमी किनारों पर 40 किमी एवं बीच में 225 किमी तक पायी जाती है। इस श्रेणी की औसत ऊंचाई 3,100 से 3,700 मी तक पायी जाती है। इस श्रेणी की औसत ऊंचाई 3,100 से 3,700 मीं तक है एवं शीत कटिबन्धीय जलवायु के कारण इस पर वनस्पतियों का पूर्ण अभाव पाया जाता है। यह श्रेणी बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों तथा उत्तर दिशा में भू-आवेष्ठित झीलों से निकलने वाली नदियों के बीच जल विभाजक की भूमिका निभाती है।

हिमालय तीन समानांतर पर्वत श्रंखलाओं में अवस्थित है जो पश्चिम में सिंधु गार्ज से पूर्व में ब्रह्मपुत्र गार्ज तक विस्तृत है। कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक हि

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